Vedanta Share: हाल ही में, वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कंपनी की डिमर्जर प्रक्रिया को लेकर महत्वपूर्ण अपडेट साझा किया है। इस डिमर्जर के तहत, वेदांता अपने विभिन्न व्यवसायों को अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करने की योजना बना रही है। आइए, इस प्रक्रिया और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करें।
डिमर्जर की योजना
वेदांता लिमिटेड ने अपने व्यवसायों को पांच स्वतंत्र कंपनियों में विभाजित करने का निर्णय लिया है:
- वेदांता लिमिटेड: मौजूदा कंपनी के रूप में कार्यरत रहेगी।
- वेदांता एल्युमिनियम मेटल लिमिटेड: एल्युमिनियम व्यवसाय के लिए।
- तलवंडी साबो पावर लिमिटेड: पावर सेक्टर के लिए।
- माल्को एनर्जी लिमिटेड: तेल और गैस व्यवसाय के लिए।
- वेदांता आयरन एंड स्टील लिमिटेड: स्टील व्यवसाय के लिए।
यह विभाजन प्रत्येक व्यवसाय को स्वतंत्र रूप से विकसित होने और अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करने में सहायता करेगा।
शेयरधारकों के लिए लाभ
डिमर्जर योजना के अनुसार, वेदांता के प्रत्येक शेयरधारक को चार नई कंपनियों में से प्रत्येक में एक-एक शेयर मिलेगा। इसका मतलब है कि यदि आपके पास वेदांता का एक शेयर है, तो आपको चार नई कंपनियों के भी एक-एक शेयर प्राप्त होंगे। यह कदम शेयरधारकों के लिए मूल्य संवर्धन का संकेत है।
प्रमोटर हिस्सेदारी
अनिल अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 50% से अधिक बनी रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि कर्ज कम करने के लिए हिस्सेदारी बेचने की कोई योजना नहीं है, और कंपनी अपनी आंतरिक आय से वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में सक्षम है।
स्टील व्यवसाय की संभावित बिक्री
कंपनी ने संकेत दिया है कि यदि स्टील व्यवसाय के लिए उचित मूल्य मिलता है, तो इसे बेचा जा सकता है। अनिल अग्रवाल ने बताया कि वेदांता का स्टील कारोबार लाभदायक है, और यदि सही बाजार मूल्य की पेशकश की जाती है, तो कंपनी इस डिवीजन को बेचने पर विचार करेगी।
डिविडेंड नीति
वेदांता उच्च डिविडेंड देने वाली कंपनी के रूप में जानी जाती है, और यह परंपरा डिमर्जर के बाद भी जारी रहेगी। अनिल अग्रवाल के अनुसार, अगले पांच वर्षों में इन कंपनियों से $40 बिलियन का राजस्व और 30-35% का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन उत्पन्न होने की उम्मीद है।
डिमर्जर प्रक्रिया की प्रगति
वेदांता ने मार्च 2025 में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में डिमर्जर के लिए अंतिम स्वीकृति हेतु आवेदन किया है। न्यायाधिकरण की सुनवाई 6 से 8 सप्ताह के भीतर होगी, जिसके बाद अलग हुई कंपनियों के शेयर सूचीबद्ध किए जाएंगे।
Conclusion– Vedanta Share
वेदांता का यह डिमर्जर कदम शेयरधारकों के लिए नए अवसर प्रस्तुत करता है। प्रत्येक व्यवसाय की स्वतंत्रता और फोकस से कंपनियों की कार्यक्षमता में सुधार होगा, जिससे निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है।
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